आज हिंदी पत्रकारिता दिवस है पत्रकारिता क्षेत्र में सभी मार्गदर्शन और सहयोगदाताओं को शुभकामनाएं और बधाई ,,,पत्रकारिता शब्द ही अपनेआप में बहुत गंभीर शब्द है वहीं जनता की आवाज़ भी । अपनेआप में निपक्ष पत्रकारिता ने वर्षों से अपनी अलख जगाई रखीं है मगर बदलते दौर की निपक्ष पत्रकारिता गुम हो चुकी हैं चारों तरफ चाटूकार पत्रकारिता का बोलबाला है। बड़े बड़े मिडिया और समाचारपत्र संस्थान असल मुद्दों की खबर से सत्ता पक्ष के लोगों को खुश करने में लगें है। लाखों रुपए के विज्ञापनों के तलें दब चुके संस्थानों में असल पत्रकारिता कहीं नजरअंदाज नहीं आती हैं,,,भारत देश में सबसे बुरे हाल ग्रामीण क्षेत्र के पत्रकारों के है जमीनी स्तर पर खबरों का संकलन करके खबरें, समाचार मिडिया या अखबार के जिला संस्थान में भेजते हैं मगर इनकी खबरों समाचारों में काटपीट कर दी जाती हैं। बड़े बड़े समाचारपत्रों के संस्थानों द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों के पत्रकारों को अपने समाचारपत्र का परिचय पत्र भी एजेंटों का दिया जाता है ग्रामीण क्षेत्र का पत्रकार पत्रकार ना होकर ऐजेंट या होकर ही रह जाता है। "बस अखबार मगवाओ क्षेत्र में बटवाओ और कमीशन प
तेवऱ वहीं.अंदाज नया