आज हिंदी पत्रकारिता दिवस है पत्रकारिता क्षेत्र में सभी मार्गदर्शन और सहयोगदाताओं को शुभकामनाएं और बधाई ,,,पत्रकारिता शब्द ही अपनेआप में बहुत गंभीर शब्द है वहीं जनता की आवाज़ भी । अपनेआप में निपक्ष पत्रकारिता ने वर्षों से अपनी अलख जगाई रखीं है मगर बदलते दौर की निपक्ष पत्रकारिता गुम हो चुकी हैं चारों तरफ चाटूकार पत्रकारिता का बोलबाला है। बड़े बड़े मिडिया और समाचारपत्र संस्थान असल मुद्दों की खबर से सत्ता पक्ष के लोगों को खुश करने में लगें है। लाखों रुपए के विज्ञापनों के तलें दब चुके संस्थानों में असल पत्रकारिता कहीं नजरअंदाज नहीं आती हैं,,,भारत देश में सबसे बुरे हाल ग्रामीण क्षेत्र के पत्रकारों के है जमीनी स्तर पर खबरों का संकलन करके खबरें, समाचार मिडिया या अखबार के जिला संस्थान में भेजते हैं मगर इनकी खबरों समाचारों में काटपीट कर दी जाती हैं। बड़े बड़े समाचारपत्रों के संस्थानों द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों के पत्रकारों को अपने समाचारपत्र का परिचय पत्र भी एजेंटों का दिया जाता है ग्रामीण क्षेत्र का पत्रकार पत्रकार ना होकर ऐजेंट या होकर ही रह जाता है। "बस अखबार मगवाओ क्षेत्र में बटवाओ और कमीशन पाओ तक ही सीमित रखा गया है ग्रामीण संवाददाताओं को लेकर हमेशा विभिन्न पत्रकार सगठनों द्वारा समय समय पर मांग रखीं जाती रही हैं मगर ग्रामीण क्षेत्रों के पत्रकारों को कुछ नहीं मिलता है । बड़े शहरों से लगाकर ग्रामीण क्षेत्रों में प्रोपर्टी ब्रेकर दलालनुमा लोगों द्वारा छोटेमोटे अखबार की ऐजेंसी लेकर पत्रकार बन बेटे है। हर किसी अखबार में राजनीतिक से जुड़ें लोग जुड़े हुए हैं इसलिए असल पत्रकारिता हो ही नहीं सकती जनता के मुद्दों बातें अब कम हो गई है हर कोई अपने को खुश को लेकर खबरें लिख रहे है ,,बहुत सारी समस्याओं का सामना कर रहा है ग्रामीण क्षेत्र का नारद जी भूमिका निभाने वाला संवाददाता ,,फिर निरतंर अपनी कार्य से समय से समय से जागरूकता वाले समाचार प्रकाशित होते है ऐसे अनेकों शोसल मिडिया के न्यूज़ पोर्टल है ओर यूट्यूब वीडियो चैनल जो जनहितकारी मुद्दे की खबर को प्रथम स्थान देते हैं । सरकारें सिर्फ वाद करती हैं और भूल जाते है की ग्रामीण क्षेत्रों के सूचना के मुख्य केन्द्र ग्रामीण संवाददाता ही है इसकी वजह से ही आप सुचनाएं ग्रामीण तक पहुचती है ..। खैर छोड़ों होना कुछ नहीं है असल नकल में हमेंशा फर्क रहेगा ।
दिलीप कर्णधार
रतलाम मध्यप्रदेश
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