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प्रशासनिक नुमाइंदों की मेहरबानी से भू माफियाओं के होसले बुलंद पूर्व कलेक्टर की टेबल तक ही नहीं जाने दी अवैध कॉलोनियों कि फाइल-सुत्र।


रतलाम /नामली -नगर के आसपास करोड़ों रुपए लागत की शासकीय भूमि वर्षों से राजनीति पहुंच रखने वाले दंबगों के कब्जे में है मगर राजस्व की इस भूमि को प्रशासन नहीं छुड़वा नहीं पाया है। इसके पिछे स्थानीय प्रशासन के जिम्मेदारों की बड़ी लाफरवाई सामने आई है सुत्रों द्वारा बताया जाता है कि कार्यवाई केवल इसलिए नहीं हो पाती की नोटों के बंडल के आगें शासकीय भूमि से जुड़े दस्तावेजों की फाइल दबा दी जाती है । 

मामला नम्बर -(1)
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इसका उदाहरण देखना होतो नामली से लगी श्री गोपाल गौशाला के आसपास देखने को मिल जाएगा पल्दुना रोड स्थित गांव भारोड़ा और नामली के बीच बनी श्री गोपाल गौशाला के आसपास करीबन 65 बिघा गोचर भूमि है इस पर वर्षों से दंबगों कब्जा मगर प्रशासन गोचर भूमि को कब्जेधारियों से छुड़वाने में नाकाम साबित हुआ है सत्ता पक्ष के राजनेताओं का आशीर्वाद कब्जेधारियों पर है इसलिए भू माफिया का कब्जा बरकरार है जबकि जनवरी 2020 को राजस्व विभाग की टीम ने गौशाला के आसपास लगी गोचर भूमि की नपती कर ली थी और जल्द ही गोचर भूमि का कब्जाधारियों से कब्जा छुड़वाकर श्री गोपाल गौशाला को देने की बात कही थी मगर कब्जा धारियों की राजनीतिक पकड मजबूत होने पर आजतक करीबन नपती हुएं दो वर्ष से उपर होने के बाद भी कार्यवाई नहीं होना अपने आप में राजस्व विभाग की मिलीभगत होने की आशंका को जन्म दे रहा है। नये आये कलेक्टर से उम्मीद है कि वह इन दंबगों से गोचर भूमि छुड़वाएगे ।


मामला नम्बर -(2)
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राजस्व विभाग का निक्कमापन यही नहीं रुका है यह निक्कमापन इसलिए लिखना उचित लगा की वर्षों से मुक्तिधाम नामली के ठीक पास लगी करीबन 5 शासकीय भूमि पर भी वर्षों से भू माफियाओं ने अपना कब्जा जमा रखा है कुछ लोगों तो वर्षों से शासकीय भूमि पर खेती कर रहे है जबकि नामली मुक्तिधाम में जगह की कमी है मनमोहन गार्डन मानों की प्राकृतिक आक्सीजन प्लांट होने से मुक्तिधाम में जगह की कमी है  इसलिए बच्चों की मौत होने पर नगर के आमजन मुक्तिधाम के गार्डन के पास ही मृत्यु बच्चों को दफनाते है जिससे मुक्तिधाम के गार्डन में प्राकृतिक आक्सीजन लेने आनेवाले लोगों में नाराजगी जताई है निस्वार्थ मुक्तिधाम सेवा समिति ने भी मुक्तिधाम से लगी शासकीय भूमि से दो बिघा जमीन की मांग की है मगर जनता के कार्य करनेवाले जनता के शासकीय सेवक की अनदेखी से शासकीय भूमि का कब्जा नहीं हट पाया है और नपती नहीं हो पाई है इसलिए स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों का निकम्मापन नजर आया है। और स्थानीय प्रशासन नतमस्तक है या फिर लाचार। 

मामला नम्बर -(3)
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बसाया जा रहा है अवैध कॉलोनियों का भ्रमजाल आखिर कब मिलेगा नगर कि अवैध कॉलोनियों में गरीबो का हक,नामली की अवैध कॉलोनियों को लेकर पूर्व कलेक्टर कुछ नहीं कर पाये अब नवगत कलेक्टर श्री नरेंद्र कुमार सुर्यवंशी से उम्मीद है कि वह नामली में काटीं गई अवैध कॉलोनियों में गरीबो का हक दिलवाएंगे यह सब उम्मीद है शायद ...होना जाना कुछ नहीं क्योंकि प्रशासन के स्थानीय नुमाइंदे नहीं चाहते की अवैध कॉलोनियों की सुची कलेक्टर की टेबल तक पहुचें रतलाम से स्थांतरित होकर खरगोन पहुंचे पूर्व कलेक्टर श्री कुमार पुरुषोत्तम जी के टेबल तक ही अवैध कॉलोनियों से जुड़ी फाइल ही सामने नहीं आने दी इसलिए अवैध कॉलोनियां वैध नहीं हो पाई । रसूखदार काली कमाई का साम्राज्य बसाने वालों पर अभी तक कठोर कार्यवाही नहीं होने से इन अवैध कॉलोनियों में पक्के मकान निर्माण किये जा रहे है मगर जवाबदेही रेरा विभाग की अनेदखी से नगर में बिना गार्डन (बगीचा) पानी और मलमूत्र की निकासी नहीं और तो और हालत ऐसे है कि पिछले वर्षों में काटी गई अवैध कॉलोनियों में रहने वाले लोग पानी निकासी पिने के पानी के लिए वचिंत है रेरा के  नियमों का यहां की अवैध कॉलोनियों में कोई मापदंड नहीं नामली के आसपास धडल्ले से कृषि भूमियाँ को खरिदकर प्लांट कटे जा रहे हैं स्थानीय प्रशासन के पूर्व में प्रशासन के तरफ से कुछ अवैध कालोनाइजरों पर प्रकरण दर्ज करवाया है जिसमें कुछ लोग कृषि भूमि बेचने वाले हैं तो कुछ कॉलोनाइजर मगर पर्द के पिछे अनेकों अवैध कॉलोनाइजरों बचाया गया है जो इस अवैध कॉलोनियों को विकशित करके करोडों पति बन बेटें है  और पक्के निर्माण कर मकान बेच रहे हैं कार्यवाई की जरूरत है जिससे इन अवैध कॉलोनियों में गरीबों का उनका हक मिले..।



अवैध कॉलोनियों को विकसित होने में नगर परिषद भी जिम्मेदार। नियमों को ताक में रखकर बन रहे मकान  


नामली नगर परिषद की बड़ी लाफरवाई से रोड़ सकड़े हो रहे हैं और गलिया आम रास्ते छोटे हो रहे हैं नवीन मकान निर्माण करनेवाले नियमों को ठेंगा दिखाकर नियमों के विपरीत निर्माण कार्य कर रहे हैं मगर कोई देखने वाला नहीं जो जिम्मेदार है उनकी जिम्मेदारी इस नामली नगर परिषद के प्रभारी अधिकारी होने के साथ और भी बड़ी है इसलिए नामली नगर परिषद को मुख्य नगर परिषद अधिकारी की आवश्यकता है मगर प्रभार अन्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के हाथों में  सौपे जाने से आमलोगों को छोटे छोटे कामों के लिए भटकना पड़ता है नामली नगर के हालत प्रधानमंत्री आवास घोटले और तालाब घोटले के उजागर होने और प्रकरण दर्ज होने के बाद यहां कोई भी नगरीय विभाग का कोई भी अधिकारी सीएमओ पद पर आना नहीं चाहता है इसलिए प्रशासन ने प्रभारी सीएमओ और प्रशासक नियुक्त कर रखा है इसलिए नामली नगर में शासकीय रास्तों गलियारों पर कब्जा हो गया है एक छोटा सा उदाहरण देखना होतो नगर परिषद नामली के मार्केट के दौनों हिस्से तक ले दोनों ही हिस्सों में शासकीय जगह को रोककर दुकानें बना दी गई है नगर में ऐसी अनको  बेसकीमती जगह है जहां लोगों के कब्जा कर पूर्व में पट्टे बनवा लिया है तो कही कब्जा बरकरार है ।

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