आजादी के 75 वर्ष होने के बाद भी लोटा लेकर खुलें में शौच जाने को मजबूर ग्रामीण, कब मिलेगा प्रधानमंत्री आवास का लाभ 274 हितग्राही इतने वर्षों बाद आज भी योजनाओं के इंतज़ार में ?
ग्राम पंचायत पंचेड़ की गरीब बस्ती से क्षेत्रीय विधायक ने भी दूरियां बढ़ा रखी है मजदूर वर्ग के गरीब लोगों का कहना है कि हमारे गरीब मोहल्ले में नातों कभी विधायक ने आकर देखा ना कभी सासंद ने वैसे तो क्षेत्र से सासंद नदारद है और विधायक ताबड़तोड़ घोषणाएं कर रहे है मगर जमीनी हकीकत को लेकर विस्तार रिपोर्ट पढ़ें।
रतलाम-"मध्यप्रदेश सरकारें अपने कार्यकाल में जितने भी वादे करें और फिर उन्हें निभाएं और विकास के दावे करें और अपने विकास के पैमाने पर ख़रा उतरे इसकों लेकर जब (D.BHARAT LIVE NEWS) ने जमीनी हकीकत जानने के लिए रतलाम जिला मुख्यालय से करीबन 21 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत पंचेड़ गांव के धरातल पर जाकर जानने की कोशिश की किस तरह से लगभग 6 हजार की जनसंख्या वाले इस ग्राम पंचायत में आजादी के 75 वीं वर्षगांठ मनाने के बाद भी गरीब वर्ग के लोग कैसे अपना जीवन ज्ञापन कर रहे है। इस विषय को लेकर आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का वह बयान याद आ गया जो उन्होंने ने 2 अक्टूबर 2019 को महात्मा गांधी के जन्मदिन 150वीं वर्षगाँठ के मौके पर कहा था.......
"क्या हमें कभी दर्द हुआ है कि हमारी मां और बहनों को खुले में शौच करना पड़ता है? गांव की गरीब महिलाएं रात की प्रतीक्षा करती हैं; जब तक अंधेरा नहीं उतरता है, तब तक वे शौंच को बाहर नहीं जा सकतीं हैं। उन्हें किस प्रकार की शारीरिक यातना होती होंगी, क्या हम अपनी मां और बहनों की गरिमा के लिए शौचालयों की व्यवस्था नहीं कर सकते हैं?"
श्री नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री भारत
सरकार ने 2 अक्टूबर 2019 तक खुले में शौंच मुक्त (ओडीएफ) भारत को हासिल करने का लक्ष्य रखा था, सरकार ने 2 अक्टूबर 2019, महात्मा गांधी के जन्म की 150 वीं वर्षगांठ तक ग्रामीण भारत में 1.96 लाख करोड़ रुपये की अनुमानित लागत (यूएस $ 30 बिलियन) के 1.2 करोड़ शौचालयों का निर्माण करके खुले में शौंच मुक्त भारत (ओडीएफ) को हासिल करने का लक्ष्य रखा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने 2014 के स्वतंत्रता दिवस के भाषण में शौचालयों की जरूरत के बारे में बताया मगर रतलाम जिले की अनेकों पंचायतें में आज भी ग्रामीण क्षेत्र के रहवासी शौंच के लिए खुले में जाने को मजबूर है। वहीं प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभ से वंचित है देश को आजाद हुये 75 साल होने के बाद भी ग्राम पंचायत पंचेड़ के गरीब बस्ती वार्ड नम्बर 13 व 14 के रहवासी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है और नरगीय जीवन जीने को मजबूर हैं मगर सत्ता पक्ष के जिम्मेदारों को इसकी जानकारी ही नहीं है सांसद गुमान सिंह डामर से लगाकर विधायक दिलीप मकवाना ने कभी इस गरीब बस्ती में जाना उचित नहीं समझा है बस्ती के लोग बताते है कि नेतालोग सांसद और विधायक को हमारी बस्ती में आने नहीं देते है। और तो और मूलभूत अन्य सुविधाओं से इन्हें मजबूर कर रखा है इन बागरी समाज के गरीब परिवार की बस्ती में वर्षों पहले रोड़ निर्माण हुआ था जो आज इस रोड़ पर बस धुल के गुब्बारे चढ़ते नजर आएंगे वहीं नालियों का निर्माण भी शायद ही इन वार्ड में हो पाया है ।स्ट्रीट लाइट के नाम पर सिर्फ एक बल्ब जलता हुआ नजर आया है। प्रधानमंत्री आवास योजना में करीबन 274 हितग्राहियों में से अभी वर्तमान स्थिति में सह सचिव ने बताया कि करीबन 40 पात्र हितग्राहियों के नाम शासन को भेजें है। शासन की योजना अनुसार खुले से शौच मुक्त करने के लिए स्वच्छ भारत मिशन के तहत हर पंचायत में एक एक प्रेरक की नियुक्ति की गई थी जिसमें इन्हें गांव के लोगों को प्रेरित कर गावों को ओडीएफ बनना था उन प्रेरकों तब 250 रुपये रोज के हिसाब से मानदेय देना तय था अब बताया जाता है कि किसी को 80 तो किसी को 160 रुपये महीना दिया जाता है । इन प्रेरिकों के क्षेत्र में कोई अतेपते नहीं है शासन ने वर्तमान स्थिति में प्रेरिकों को लेकर क्या स्पष्ट दिशानिर्देश जारी किए हैं इसकों लेकर कोई भी जानकारी स्पष्ट नहीं है। वहीं शौचालय निर्माण को लेकर बढ़े भष्टाचार की बदबू आ रही है क्योंकि कागजों में मध्यप्रदेश खुले में शौच मुक्त हो गया है मगर जमीनी हकीकत यह है कि रतलाम जिले के कई पंचायतों में आज भी गरीब लोगे लोटा लेकर खुले में शौच करने को लेकर मजबूर हैं अगर शासन सच्चाई से शौचालय निर्माण की जमीनी हकीकत की जांच करें तो यह बड़ा शौचालय घोटाला सामने आ सकता है। मगर अधेरी राजा चपेट नगरी की कहावत यहां चरितार्थ होती नजर आ रही है। और मध्यप्रदेश सरकार अब विकास यात्रा का प्लानिंग कर रही है। जिसमें जिले के वार्ड ,ग्रामीण स्तर तक सरकार के नुमाइंदे पहुचेंगे और समस्याओं का हल करेगें। मगर यह सिर्फ झूठे वादे ही साबित होगे क्योंकि सरकार के वादे और बयान अलग अलग होते है मगर धरातल पर विकास की रफ्तार रुकीं हुई है। ग्राम पंचायत पंचेड़ में ऐसे कहीं परिवारजन है जो खुले में शौच करने जाते है।
दर्द पंचेड़ के गरीब वर्ग के लोगो का.......
(मांगीलाल)
मांगी लाल बागरी उम्र लगभग 48 जो एक वर्ष से बिमार है और अकेले हैं इनके कच्चा मकान का पिछला पुरा जर्जर हालतों में हैं कब गिर सकता है और इस गरिबी मागीलाल व्यक्ति के साथ हादसा हो सकता है मगर इन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ नहीं मिला हे शौचालय के लिए तो यह जन्म के बाद समझदार होने की बाद से योजना में लाभदायक मिले इसके लिए इंतजार कर रहे है मांंगीलाल बागरी बताते है कि एक वर्ष पहले आवास योजना में मंत्री साहब ने आधार,कार्ड रासन कार्ड,बैंक खाता पासबुक आदि कागजातों की फोटोकॉपी मांगी थी देने के बाद भी आज तक नातो शौचालय और ना ही आवास का लाभ मिल पाया है।कोई भी हमारी नहीं सुनता है।
बिमार मांंगीलाल के कच्चे घर की दीवाल सरकार के आवास योजना की हकीकत बंया पुरी तरह से जर्जर अवस्था में कच्चा मकान
कि पंचेड़ सह सचिव ने दो वर्ष पहले शौचालय निर्माण को लेकर दस्तावेज मांगे थे वह मेने दे दिये मगर आजतक शौचालय निर्माण की राशि नहीं आई है और आवास को लेकर बाबू लाल का कहना है कि गतवर्ष सचिव ने बताया था कि आवास योजना में तुम्हें लाभ मिलेगा मगर अभी तक कोई लाभ नहीं मिला है ।इन्होंने ने ग्राम पंचायत पर आरोप भी लगाए हैं कि हमें स्ट्रीट लाइट जैसी सुविधाओं से वचिंत रखा जा रहा है हमारे मोहल्ले में नातों पक्की नालियां है और ना सड़क और ना कोई साफसफाई नरगीय जीवन जी रहे है हम वर्षों से इस पंचेड़ पंचायत के हमारे मोहल्ले में सरकार गरीबों की नहीं सुनती और अमीरों को योजना का लाभ देती हैं।
मंजू बाई ग्रामीण पंचेड़ बताती है कि मेरे परिवारजनों को अभी तक आवास योजना में लाभ नहीं मिला है और हमें सबसे ज्यादा जरूरत शौचालय निर्माण की है हम महिलाओं को शौच के लिए आसपास जंगल में खुले में शौच के लिए जाना पड़ता हैं हमारी कोई नहीं सुनता है। बिजली पानी, सड़क पक्की गटरो को लेकर भी उन्होंने ने परेशानी साझा की ।
(बुर्जुग दम्पत्ति पंचेड़)
पंचेड़ निवासी बुर्जुग दम्पत्ति है इनके कोई संतान नहीं है करीबन 70 वर्षीय बुर्जुग महिला अपना दर्द बंया कर बताती है कि इस उम्र में भी हमें शौच के लिए जंगल जाने को लेकर मजबूर है मेरे पति की तबियत खराब रहती है इसलिए में इन्हें शौच करने करीबन जंगल ले जाती है नहाने के लिए इन्होंने ने खुद मजदूरी कर स्नान गृह बनवाया है । हमें वर्षों से पंचायत ने कोई लाभ नहीं दिया है।
(विष्णु बाई गांव पंचेड़ महिला)
भंवरलाल सुखराम चन्द्रवंशी बताते है कि मेरी पत्नी सीताबाई का स्वर्गवास करीबन 10 महिनों पहले हो चुका है मुख्यमंत्री जनकल्याण (संबल) योजना में पात्र हितग्राही है मगर उन्होंने संबल योजना में मृत्यु पत्नी के चाल चलावे (दाह संस्कार ) के पांच हजार रुपये ही मिले हैं जबकि मेरे द्वारा पत्नी के दाह संस्कार में उपयोग होने वाली लकड़ी के एक हजार पांच सौ रुपये ग्राम पंचायत में जमा करवाकर रशीद भी प्राप्त कर ली है फिर भी संबल योजना के मुख्य राशि करीबन दो लाख रुपए प्राप्त नहीं हो पाई है। इन्हें भी आवास योजना में और शौचालय निर्माण को लेकर ग्राम पंचायत ने कोई लाभ नहीं दिया है ऐसे सैंकड़ों परिवार केवल ग्राम पंचायत पंचेड़ में अपने हक की सुविधाओं से वंचित हैं।
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