शीतला सप्तमी पर्व पर श्री शीतला माता के चरणों में नतमस्तक होकर श्री शीतला माता मेले का किया शुभारंभ, देर रात कवियों को सुना श्रोताओं ने।
शीतला सप्तमी पर्व पर श्री शीतला माता के चरणों में नतमस्तक होकर श्री शीतला माता मेले का किया शुभारंभ, देर रात कवियों को सुना श्रोताओं ने।
शीतला सप्तमी हिंदू धर्म के अनुयायियों द्वारा मनाए जाने वाला लोकप्रिय त्योहार है. यह पर्व शीतला माता जी को समर्पित होता है. भारत में चेचक और छोटी माता जैसे रोगों से मुक्ति पाने के लिए शीतला माता का पूजन करते हैं. भारत में उत्तर प्रदेश, गुजरात और राजस्थान में इस दिन को विशेष माना जाता है. माना जाता है कि जो भक्त माता शीतला का व्रत रखते हैं उन्हें सभी रोगों से छुटकारा मिल जाता है. खासतौर से संतान की सेहत के लिए इस व्रत को रखने की मान्यता है। और इस व्रत के दिन धार्मिक नगरी नामली में वर्षों से श्री शीतला माता जी के दरबार में परंपरागत रूप से नगर परिषद नामली द्वारा मेले का आयोजन रखा गया जिसमें दूर दूर से आएं झूला चकरी लेकर आए झूले वालों ने बताया कि उम्मीद से अधिक संख्याओं में श्री शीतला माता जी के दर्शानार्थियों आने से मेलें की रोनक में चार चांद लग गए। आगरा से आएं नाव वाला झूला लेकर आये झूले वालें ने बताया कि जगह की कमी नजर आई मेला आयोजन स्थल में जगह कम होने से थोड़ी बहुत परेशानी हुई है मगर मेला ठीक-ठाक रहा है। बड़े आयोजन में छोटी मोटी अव्यवस्थाएं होती है उसे नजरंदाज कर व्यापार पर चर्चा कि जाएं तो बाहर से आएं दुकानदार अपने सामग्री अच्छी बिक्री होने बात करते नजर आए
श्री शीतला सप्तमी पर्व पर नगर से दो किलोमीटर दूर स्थित मां शीतला माता मंदिर पर परम्परा अनुसार इस वर्ष भी दो दिवसीय मेले का आयोजन हुआ जिसमें आसपास करीबन 100से अधिक गांव के श्रद्धालुओं ने माता श्री शीतला माता जी के दर्शन कर मेले का आनंद लिया । नगर परिषद अध्यक्ष श्रीमती अनीता रजनीश परिहार,उपाध्यक्ष श्रीमती पूजा श्री नाथ योगी और मेला अध्यक्ष तुफान सिंह सोनगरा और अन्य जनप्रतिनिधियों ने मेलें के शुभारंभ अवसर पर मां शीतला माता जी के चरणों में नतमस्तक होकर नगर और क्षेत्र की उज्ज्वल भविष्य की कामनाएं करते हुए मेलें के सफल आयोजन की कामनाएं की मेले के एक दिन पूर्व कवि सम्मेलन का आयोजन मेलें प्रांगण में किया गया जिसमें कवियों के काव्यपाठ सुनने वालों ने कवि सम्मेलन की बहुत प्रशंसा करते हुए बताया कि माता जी के मेले प्रांगण में पूर्व परिषदों के कार्यकाल में आर्केस्ट्रा होता था जिससे फिल्मी गानों पर ठुमके लगाते थे उससे तो बेहतर कवि सम्मेलन है जिसमें कवियों के काव्यपाठ कला को सुनने अच्छी संख्या में लोग उपस्थित थे। मेला अध्यक्ष तुफान सिंह सोनगरा ने मेलें के शुभारंभ अवसर पर अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और अन्य जनप्रतिनिधियों का स्वागत किया और आभार सीएमओ नासिर अली खान ने माना है मेले में बच्चों के खिलौने बेचने वाले दुकानदारों ने ने बताया कि इस वर्ष का मेला आयोजन अच्छा हुआ हमारे खिलौनों की अच्छी बिक्री हुई है वहीं मेले में लगीं खानेपीने के व्यंजनों कि दुकानों पर भीड़भाड़ देखी गई झूला चकरी में झूलने वालों को भी अपनी बारी का इंतजार करना पड़ा इतनी भीड़भाड़ मेलें प्रांगण में इस वर्ष देखने को मिली है पुलिस प्रशासन की अच्छी व्यवस्था नजर आई मेले के एक दिन पहले से ही पुलिस ने व्यवस्थाएं संभाल रखी थी। इस प्रकार खेड़ापति हनुमान मंदिर स्थित पड़ने वाला नगर का मेला सफल रहा शाम ढलते ही मेले का आगाज हुआ जो देर रात तक चलता रहा बच्चों महिलाओं ने नगर में आयोजित होने वाले मेले में बढ़चढ़ कर भाग लिया और खरीदारी करी छोटी मोटी अव्यवस्थाओं के बीच नगर परिषद नामली के अधिकारियों और कर्मचारियों की टीम की मेहनत रंग लाई और दोनों ही महत्वपूर्ण धार्मिक आस्था के प्रतिक मेले का सफल आयोजन किया गया है।
शीतला सप्तमी का महत्व
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प्रसिद्ध 'स्कंद पुराण' में इस दिन के महत्व का उल्लेख है. हिंदू लिपियों के अनुसार, शीतला मां को दिव्य पार्वती देवी और दुर्गा माता का अवतार कहा जाता है. देवी शीतला संक्रमण की बीमारी चेचक को देने और ठीक करने दोनों के लिए जानी जाती हैं. इसलिए, इस दिन हिंदू भक्तों द्वारा अपने बच्चों की सुरक्षा के लिए माता शीतला की पूजा की जाती है. 'शीतला ' शब्द का शाब्दिक अर्थ है 'ठंडा', जो अपनी शीतलता से इन रोगों को ठीक करने का संकेत देता है..।
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केवल इसी व्रत में ठंडा खाने की परंपरा
शीतला माता का ही व्रत ऐसा है जिसमें शीतल यानी ठंडा भोजन करते हैं। इस व्रत पर एक दिन पहले बनाया हुआ भोजन करने की परंपरा है। इसलिए इस व्रत को बसौड़ा या बसियौरा भी कहते हैं। माना जाता है कि ऋतुओं के बदलने पर खान-पान में बदलाव करना चाहिए है। इसलिए ठंडा खाना खाने की परंपरा बनाई गई है। धर्म ग्रंथों के मुताबिक शीतला माता की पूजा और इस व्रत में ठंडा खाने से संक्रमण और अन्य बीमारियां नहीं होती।
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