कलेक्टर श्री नरेंद्र सूर्यवंशी द्वारा पशुओं में लंपी वायरस संक्रमण के दृष्टिगत संक्रमित पशुओं की जानकारी ली
कलेक्टर श्री नरेंद्र सूर्यवंशी द्वारा पशुओं में लंपी वायरस संक्रमण के दृष्टिगत संक्रमित पशुओं की जानकारी ली
रतलाम 06 अगस्त 2022/ कलेक्टर श्री सूर्यवंशी द्वारा नामली, बरबोदना, बोदीना, सेमलिया तथा हतनारा गांव का भ्रमण लमपी वायरस से संक्रमित पशुओं की जानकारी ली। गांवो में छिटपुट रूप से पशुओं में प्रकोप देखा गया है। पशुपालकों से कलेक्टर द्वारा चर्चा भी की गई। ग्रामीणों ने बताया कि पशु चिकित्सा विभाग का अमला उनके पशुओं के उपचार के लिए आ रहा है और उनके द्वारा दवाइयां भी उपलब्ध कराई गई है। कलेक्टर ने गौशाला संचालकों तथा ग्रामीणों को स्वच्छता संबंधी समझाईश भी दी। पशु चिकित्सा विभाग के संयुक्त संचालक उज्जैन श्री के.एन. बामनिया, उपसंचालक रतलाम श्री डॉक्टर आर.के. शर्मा तथा विभाग का मैदानी अमला उपस्थित रहा। कलेक्टर श्री सूर्यवंशी द्वारा बरबोदना, नामली तथा बोदीना गौशालाऐ भी देखी गई।
ज्ञातव्य है कि राजस्थान में लंपी नामक वायरस से कॉफी संख्या में गायों की मृत्यु हुई है। इस बीमारी का असर राजस्थान की सीमा से लगे मध्यप्रदेश के रतलाम जिले के कुछ क्षेत्रों में भी देखा जा रहा है। इस दशा में पशुओं की रक्षा हेतु दिशा-निर्देश जारी किए गए। यह बीमारी अस्वच्छता के कारण मच्छरों और मक्खियों के माध्यम से एक दूसरे पशुओं में फैल रही है। अतः पशुपालक और गौशालाएं अपने पशुओं को बांधने वाले स्थान पर साफ सफाई रखें। इसके अतिरिक्त निम्न उपाय को भी अपनाने की सलाह दी गई है।
इस बीमारी के प्रारंभिक लक्षण नजर आने पर पशुओं को दूसरे जानवरों से अलग कर दें। इलाज के लिए नजदीकी पशु चिकित्सा केन्द्र से संपर्क करें।
· बीमार पशु को चारा, पानी और दाने की व्यवस्था अलग बर्तनों में करें।
· रोग ग्रस्त क्षेत्रों में पशुओं की आवाजाही रोकें।
· जहां ऐसे पशु हों, वहां नीम के पत्तों को जलाकर धुआं करें, जिससे मक्खी, मच्छर आदि को भगाया जा सके।
· पशुओं के रहने वाली जगह की दीवारों में आ रही दरार या छेद को चूने से भर दें। इसके साथ कपूर की गोलियां भी रखी जा सकती हैं, इससे मक्खी, मच्छर दूर रहते हैं।
· जानवरों को बैक्टीरिया फ्री करने के लिए सोडियम हाइपोक्लोराईट के 2 से 3 फीसदी घोल का छिड़काव करें।
· मरने वाले जानवरों के संपर्क में रही वस्तुओं और जगह को फिनाइल और लाल दवा आदि से साफ कर दें।
· संक्रामक रोग से मृत पशु को गांव के बाहर लगभग डेढ़ मीटर गहरे गड्ढे में चूने या नमक के साथ दफनाएं।
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